रुबाई:
एकबार करके देखें, बारबार ना करें कोई
दिल तो खैर दिल है उसका एतबार ना करें कोई
गज़ल:
आजतक जो रोयी हो ज़िंदगी जी भरके
कल हंसेगी ये उम्मीद ना करें कोई
होने को और क्या था, हो गया है शायद
फ़िरभी ख़्वाबोंमे आ-आके सताये कोई
भुलाने से अगर गम जो कम नही होता
भुलकर भी गमको ना दोहराये कोई
सोचते है पीके सम्भल जायेंगे शायद
हम को मयकश तो ना कहें कोई
गर्दिशे-दौर में इक दर्द ही सहारा है
याद है और मेरे साथ न आये कोई


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