Tuesday, February 20, 2007

साक़ी

क्या क्या मिला दिया है साक़ी शराबमें
इतना नशा कहाँसे आया तेरी शराबमें

जी भरके पी गये तल्खी-ए-दिल भी हम
क्या इतना तर्श होता है अक्सर शराबमें
[तल्खी-ए-दिल=दिलकी कडवाहट; तर्श=प्यास]

देखो तो कई गम है, या के हजार खुशीयाँ
चाहोगे वो ही पाओगे तुम रंगे-शराबमें

साहिल तो दूर है, साग़र भरा हुवा
साक़ी कहें के डूब जा लहरे-शराबमें
[साग़र=जाम]

साग़र से कम नही साक़ी तेरी नजर
नजरोंमें कैफ़ है ज़ियादा या के शराबमें

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