अब वो मेरी गज़ल गुनगुनाती नही
शायद उनको मेरी याद आती नही
पहले पहले तेरी याद आती तो थी
अब किसी याद की याद आती नही
इम्तेहाँ मेरे वादेकी लेकर तो देख
मुझको वादा-खिलाफ़ी तो आती नही
दम-ब-दम शौख ज़ज्बा बदलने लगा
रातभर मुझको अब नींद आती नही
वो कभी लौटकर आ गये भी तो क्या
दिलसे जख्मोंकी यादें भुलाती नही


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