Tuesday, February 20, 2007

यादें

अब वो मेरी गज़ल गुनगुनाती नही
शायद उनको मेरी याद आती नही


पहले पहले तेरी याद आती तो थी
अब किसी याद की याद आती नही


इम्तेहाँ मेरे वादेकी लेकर तो देख
मुझको वादा-खिलाफ़ी तो आती नही


दम-ब-दम शौख ज़ज्बा बदलने लगा
रातभर मुझको अब नींद आती नही


वो कभी लौटकर आ गये भी तो क्या
दिलसे जख्मोंकी यादें भुलाती नही

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