Sunday, January 28, 2007

शीशा-ए-महल

ये चीज़ही ऎसी है के कुछ कह नही सकते
कहते है ना पीयेंगे मगर रह नही सकते

रौशन है उनके इश्कसे दिले-शीशा-ए-महल
चाहें भी अगर वो तो कहीं छुप नही सकते

वो चल दिये, हमने उन्हे रोका नही मगर
वो जानते है, हम उनके बीना रह नही सकते